विभागीय विवरण

भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा जारी राजभाषा नीति नियमों और वार्षिक कार्यक्रम का अनुपालन करने के लिए 25 जून, 1969 को अण्डमान तथा निकोबार प्रशासन में हिन्दी कक्ष की स्थापना की गई। उसके बाद 25 जनवरी, 2000 को राजभाषा विभाग स्थापित किया गया। राजभाषा विभाग, अण्डमान तथा निकोबार प्रशासन अनुवाद कार्य तथा भारतीय संघ की राजभाषा नीति के कार्यान्वायन का दायित्व निभा रहा है। राजभाषा विभाग के विभागाध्यक्ष, सचिव (राजभाषा), अण्डमान तथा निकोबार प्रशासन हैं, हिन्दी अधिकारी-व-पदेन उप सचिव (राजभाषा) कार्यालयाध्यक्ष हैं। इस विभाग में 3 अनुभाग हैं:-

(1) प्रशासनिक अनुभाग (2) लेखा अनुभाग (3) प्रशिक्षण तथा अनुवाद एकांश

भारत सरकार के हिन्दी- शिक्षण योजना के अंतर्गत हिन्दी टंकण और आशुलिपि प्रशिक्षण इस विभाग के प्रशिक्षण केन्द्र में चलाया जा रहा है। हिन्दी टंकण प्रशिक्षण की अवधि छ: माह है और हिन्दी आशुलिपि प्रशिक्षण की अवधि एक साल है। प्रशिक्षण में उत्तीर्ण कर्मचारियों को वेतनवृद्धि और नकद पुरस्कार का लाभ दिया जा रहा है। राजभाषा हिन्दी के प्रयोग की निगरानी और समीक्षा के लिए तीन स्तर पर समितियाँ गठित की गई हैं:-

(1) केन्द्रीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति

(2) राजभाषा कार्यान्वयन समिति

(3) विभागीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति

इन तीनों समितियों के अध्यक्ष क्रमश: माननीय उप राज्यपाल, मुख्य सचिव और विभागों के प्रमुख हैं। राजभाषा कार्यान्वयन समिति और विभागीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक प्रत्येक तिमाही में नियमित रूप से आयोजित की जाती है। बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं और उनका पालन किया जाता है।

इस समय प्रशासन के कार्यालयों में सरकारी काम-काज हिन्दी में करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। सरकारी काम हिन्दी में करने के लिए दस विषयों का चयन किया गया है। सभी कार्यालयों में नोडल अधिकारी (राजभाषा) पदनामित किए गए हैं जिनकी जिम्मेदारी सम्बन्धित विभागों में राजभाषा के कार्यान्वयन की निगरानी करना है। प्रशासन के लगभग सभी कार्यालयों में हिन्दी यूनिट स्था‍पित की गई है और कई विभागों में हिन्दी अनुवादक की सेवाएं उपलब्ध कराई गईं हैं, जिससे विभागों को हिन्दी में कार्य करने में काफी सुविधा हो रही है, जिन विभागों में हिन्दी अनुवादक नहीं है, उन विभागों द्वारा आवश्यक दस्तावेजों को अनुवाद के लिए राजभाषा विभाग में भेजा जाता है।

राजभाषा विभाग में कार्यरत अनुवादकों द्वारा प्रशासन के उन सभी विभागों और अनुभागों के दस्तावेजों का अनुवाद किया जाता है जिन विभागों और अनुभागों में अनुवादक नहीं है। इसके अलावा विभिन्न विभागों से प्राप्त अनुदित सामग्रियों की जांच की जाती है और त्रुटि सुधार के बाद उसे संबधित विभागों को वापस भेजा जाता है। इस विभाग द्वारा गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर प्रशस्ति पत्रों का अनुवाद किया जाता है। विभिन्न अवसरों पर माननीय उप राज्यपाल के संदेश और अभिभाषण हिन्दी में तैयार किए जाते हैं। इसके अलावा प्रशासन द्वारा जारी सभी अधिसूचनाओं और अन्य सामग्रियों का हिन्दी अनुवाद उपलब्ध कराया जाता है। विभिन्न विभागों से सम्बद्ध संसदीय समितियों के प्रश्नावली को हिन्दी में तैयार किया जाता है।

संसदीय राजभाषा समिति भी समय-समय पर प्रशासन में हिन्दी के प्रयोग की स्थिति का निरीक्षण करने के लिए द्वीपों के दौरे पर आती है। इस दौरान पाई जाने वाली कमियों को पूरा करने के लिए प्रशासन की ओर से आश्वासन भी दिए जाते है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए और हिन्दी के काम का प्रतिशत बढ़ाने के उद्देश्य से माननीय उप राज्यपाल द्वारा दस विषयों पर हिन्दी में काम करने के लिए आदेश जारी किया गया है। भारत सरकार, गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग द्वारा सरकारी काम-काज हिन्दी में करने के लिए प्रोत्साहन योजनाएं आरम्भ की गई हैं।

प्रशासन के विभागों में हिन्दी के प्रयोग की स्थिति का अध्ययन करने के लिए राजभाषा विभाग द्वारा समय-समय पर निरीक्षण किए जाते हैं।

प्रत्येक वर्ष हिन्दीं दिवस के अवसर पर हिन्दी पखवाड़ा का आयोजन 01 से 15 सितम्बर तक किया जाता है। इस दौरान सरकारी अधिकारियों/ कर्मचारियों और विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है और विजेताओं को पुरस्कृत भी किया जाता है। सरकारी कर्मचारियों को हिन्दी में काम करने के लिए जो कठिनाइयाँ आती है, उनको दूर करने के लिए प्रशासन के प्रत्येक विभाग में हिन्दी कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा समय-समय पर विद्यार्थियों के लिए राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता और प्रशासन के सरकारी कर्मचारियों के लिए संगोष्ठियों का आयोजन भी किया जाता है। प्रत्येक वर्ष ''द्वीप पर्यटन उत्सव'' पर हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। हम अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली मानते हैं कि हमें राजभाषा हिन्दी की सेवा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है और हम राजभाषा हिन्दी की गरिमा को बनाए रखने में हमेशा प्रयासरत रहेंगे।

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