भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343(1) में यह निर्दिष्ट है कि संघ सरकार की राजभाषा हिन्दी होगी और लिपि देवनागरी, जिसका अतंत: उद्देश्य यह है कि संघ सरकार का समग्र कार्य हिन्दी में किया जाएगा। इसके लिए सभी कर्मचारियों को हिन्दी में कार्य करने की जानकारी होनी चाहिए। भारत के राष्ट्रपति के आदेश के अधीन हिन्दी का सेवाकालीन प्रशिक्षण सभी केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ-साथ अवर श्रेणी लिपिकों तथा आशुलिपिकों के लिए हिन्दी टंकण तथा हिन्दी आशुलिपि का प्रशिक्षण भी अनिवार्य कर दिया गया है। हिन्दी शिक्षण योजना के अंतर्गत हिन्दी भाषा, हिन्दी टंकण तथा हिन्दी आशुलिपि का प्रशिक्षण देश के नियमित केन्द्रों में अंशकालिक आधार पर दिया जाता है।
भारत सरकार, गृह मंत्रालय के निदेशानुसार इस संघ राज्यक्षेत्र में भी यह प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किया गया है। यह प्रशिक्षण केन्द्र अण्डमान तथा निकोबार प्रशासन के राजभाषा विभाग में कार्यरत है। इस केन्द्र में प्रशासन के विभिन्न विभागों के अवर श्रेणी लिपिकों को कम्यूटर पर हिन्दी टकंण का प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। इसके अलावा अण्डमान तथा निकोबार प्रशासन के आशुलिपिकों को हिन्दी आशुलिपि का प्रशिक्षण देने की भी व्यवस्था है ।
भारत सरकार के हिन्दी- शिक्षण योजना के अंतर्गत हिन्दी टंकण और आशुलिपि प्रशिक्षण कार्यक्रम इस विभाग के प्रशिक्षण केन्द्र में चलाया जा रहा है। हिन्दी टंकण प्रशिक्षण की अवधि छ: माह है और हिन्दी आशुलिपि प्रशिक्षण की अवधि एक साल है। प्रशिक्षण में उत्तीर्ण कर्मचारियों को वेतनवृद्धि और नकद पुरस्कार का लाभ दिया जा रहा है।
प्रशिक्षण के लिए पात्रता :
(क)हिन्दी टंकण – इसमें सभी अवर श्रेणी लिपिक, जिनको प्रवीण स्तर का हिन्दी का ज्ञान है तथा अंग्रेजी टंकण जानते हैं, प्रशिक्षण हेतु पात्र है।
(ख)हिन्दी आशुलिपि – इसमें सभी अंग्रेजी आशुलिपिक, जिन्हें प्राज्ञ स्तर का हिन्दी का ज्ञान है, प्रशिक्षण के पात्र है।
हिन्दी टंकण एवं हिन्दी आशुलिपि की परीक्षाएं उत्तीर्ण करने पर एकमुश्त पुरस्कार की राशि देने और वेतनवृद्धि का प्रावधान है । इस सम्बन्ध में अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें