भारत की संविधान सभा ने 14 सितम्बर, 1949 को देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिन्दी को संघ की राजभाषा के रूप में स्वी‍कार किया था। भारत के संविधान में संघ की राजभाषा, संसद में कार्य संचालन के लिए प्रयुक्त होने वाली भाषा, कानून बनाने के लिए और उच्चतम न्यायालय तथा न्यायालयों में प्रयुक्त की जाने वाली भाषा के संबंध में अलग- अलग उपबंध हैं। यह उपबंध अनुच्छेद 120, 210 और 343 से 351 तक में उल्लिखित है।


भारत के संविधान के अनुच्छेद 120 में संसद में कार्य संचालन के लिए प्रयुक्त होने वाली भाषा संबंधी व्यवस्थाएं दी गईं हैं। अनुच्छेद 210 में राज्यों के विधान मण्डलों में प्रयुक्त होने वाली भाषा सम्बन्धी प्रावधान है।

भारत के संविधान के अनुच्छेंद 344 - राजभाषा आयोग और संसदीय राजभाषा समिति के गठन, अनुच्छेंद 345 - राज्योंं की राजभाषा, अनुच्छेदद 346 - संघ तथा राज्यों के बीच आपस में पत्राचार के लिए राजभाषाओं, अनुच्छे्द 347- किसी राज्यु का एक समूह द्वारा प्रयुक्त भाषा से संबंधित विशेष प्रावधान, अनुच्छेद 348 – उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालयों तथा अधिनियमों, विधेयकों में प्रयुक्त होने वाली भाषा, अनुच्छेद 349 – भाषा सम्बन्धी निश्चित नियमों के लिए विशेष प्रक्रियाओं, अनुच्छेेद 350 – शिकायतों के निवारण के लिए अभिवेदन में प्रयोग होने वाली भाषा, अनुच्छेद 350क – प्राथमिक स्तर पर मातृ भाषा में शिक्षा पाने की सुविधा और अनुच्छेद 350ख - भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए विशेष अधिकारी की नियुक्ति से संबंधित उपबंध हैं ।

इसके अलावा अनुच्छेद 351– के अनुसार संघ का यह कर्त्तव्य‍ होगा कि वह हिन्दी भाषा का प्रसार बढ़ाएं, उसका विकास करे ताकि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यदम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्ताक्षेप किए बिना हिन्दुस्तानी के और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट‍ भारत की अन्य भाषाओं के प्रयुक्तं रूप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वांछनीय हो वहां उसके शब्द -भण्डार के लिए मुख्यत: संस्कृत से और गौणत: अन्य भाषाओं के शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करें ।

यहां पर यह उल्लेखनीय है कि संवैधानिक प्रावधान, राष्ट्रपति के आदेश 1960, राजभाषा अधिनियम, 1963 (यथासंशोधित 1967) और राजभाषा नियम, 1976 के तहत ही राजभाषा के क्रियान्वयन सुनिश्चित किए जाते हैं।

राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजन के लिए प्रयोग) नियम, 1976 के अनुसार अण्डमान तथा निकोबार द्वीपसमूह को राजभाषा कार्यान्वयन की दृष्टि से '' क'' क्षेत्र में रखा गया है, जहाँ भारत सरकार के राजभाषा सम्बन्धी वार्षिक कार्यक्रम के अनुसार शासकीय कार्यों को शत प्रतिशत राजभाषा हिन्दी में किया जाना आवश्यक है ।

हिन्दी ही एक ऐसी भाषा है, जिसे देश का बहुमत समझता है। अत: यही भारत की राष्ट्रभाषा है - महात्मा गॉंधी,     हिन्दी हमारे देश और भाषा की प्रभावशाली विरासत है – माखन लाल चतुर्वेदी ,     भारत की अखण्डता और व्यक्तित्व को बनाए रखने के लिए हिन्दी का प्रचार अत्यन्त आवश्यक है– महाकवि शंकर कुरूप ,     राजभाषा में काम करना गौरव की बात है - राहुल सांकृत्यायन ,     देश को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा हिन्दी ही हो सकती है - लाल बहादुर शास्त्री     

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